क्या आपको पता है कि छोटा-सा मच्छर भी आपकी जान का दुश्मन बन सकता है? मच्छर से कई तरह की बीमारियां होती है और मलेरिया उन्हीं में से एक है। मलेरिया के कारण कई हैं, लेकिन गंदगी सबसे बड़ा कारण है। आसपास फैली गंदगी से मच्छर होते हैं और यही मच्छर मलेरिया रोग का कारण बनते हैं। अगर वक्त रहते मलेरिया का इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा भी हो सकता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम न सिर्फ मलेरिया के लक्षणों के बारे में बताएंगे, बल्कि मलेरिया से बचाव के लिए मलेरिया का इलाज भी बताएंगे। मलेरिया रोग से जुड़ी तमाम जानकारियों के लिए पढ़ें यह आर्टिकल।
मलेरिया क्या है – What is Malaria in Hindi
अगर लोगों से पूछा जाए कि मलेरिया क्या है, तो कई लोग यही कहते हैं कि मलेरिया एक तरह का बुखार होता है, जो मच्छर के काटने से होता है। इसमें मरीज को ठंड लगती है और तेज बुखार आता है। हालांकि, यह सही है, लेकिन यह पूरी तरह से मलेरिया की परिभाषा नहीं है। इससे पहले कि आप मलेरिया के लक्षणों को जानें, आपका यह जानना जरूरी है कि मलेरिया क्या है? ‘मलेरिया’ इटालियन शब्द ‘माला आरिया’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है खराब हवा, क्योंकि पहले ऐसा माना जाता था कि यह खराब हवा के कारण होता है, लेकिन ऐसा नहीं है।
चिकित्सकीय रूप से मलेरिया एक प्रोटोजोआ परजीवी (जो दूसरे जीवों पर आश्रित होते हैं) के कारण होने वाली संक्रामक बीमारी है। मादा एनोफिलीज मच्छर इस परजीवी के लिए वाहक का काम करते हैं। मादा मच्छर स्थिर पानी में प्रजनन कर, परजीवी को मनुष्य तक फैलाते हैं। जब ये मच्छर किसी व्यक्ति को काटते हैं, तो परजीवी उसके शरीर में प्रवेश करता है और शुरू में कुछ दिनों के लिए लिवर में बढ़ने लगता है। फिर यह लाल रक्त कोशिकाओं को क्षति पहुंचना शुरू करते हैं। ऐसा ज्यादातर गर्म स्थानों में होता है, जिस कारण गर्म जगहों पर रहने वाले लोग इससे जल्दी प्रभावित हो जाते हैं (1) (2)।
नीचे हम आपको मलेरिया से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
मलेरिया के कुछ रोचक तथ्य
इससे पहले कि आप मलेरिया के प्रकार और लक्षणों को जानें, आप मलेरिया से जुडी कुछ रोचक बाते जान लें।
- हर वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है।
- विश्व मलेरिया दिवस का उद्देश्य लोगों को मलेरिया जैसी बीमारी से जागरूक कराना है।
- आपको जानकर हैरानी होगी कि मलेरिया मादा मच्छर के काटने होता है।
- मादा मच्छर एक बार में 300 या उससे अधिक अंडे दे सकती है।
- अंडों से निकलने के बाद मच्छर शुरुआत के कुछ दिन पानी में ही बिताते हैं।
- संक्रमण फैलाने के लिए एनोफिलीज मच्छर की तीन अलग-अलग प्रजातियों को जिम्मेदार पाया गया है।
- जब एक गर्भवती महिला को यह संक्रमण होता है, तो इसके परिणामस्वरूप जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो सकता है। यहां तक कि शिशु की जान को खतरा भी हो सकता है।
मलेरिया के प्रकार भी होते हैं, जिसके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
मलेरिया के प्रकार – Types of Malaria in Hindi
कई लोगों को लगता होगा कि मलेरिया बस एक ही बीमारी है, लेकिन इसके कई प्रकार भी होते हैं। नीचे हम आपको मलेरिया के प्रकार के बारे में बता रहा हैं। संक्रमण की गंभीरता के आधार पर, दो प्रकार के मलेरिया होते हैं – अनकॉमप्लिकेटेड मलेरिया और सीवियर मलेरिया।
1. अनकॉमक्लिकेटेड मलेरिया (Uncomplicated Malaria)
- इसमें मलेरिया का बुखार तीन तरीके से हो सकता है (3) :
- ठंड लग के या कंपकंपी के साथ,
- गर्मी लग के बुखार या फिर
- पसीने और थकान के साथ बुखार की समस्या हो सकती है।
इस प्रकार के मलेरिया के लक्षण हम नीचे आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
- बुखार
- ठंड लगना
- पसीना
- सिरदर्द
- मतली और उल्टी
- थकान
- शरीर में दर्द
- जोड़ों का दर्द
- भूख में कमी
- डायरिया
नोट : जिन देशों में मलेरिया के मामले अधिक नहीं होते हैं, वहां इन लक्षणों को इन्फ्लुएंजा, सर्दी या अन्य सामान्य संक्रमणों के तौर पर देखा जाता है।
2. सीवियर मलेरिया
यह मलेरिया का सबसे गंभीर रूप होता है। यह तब होता है जब मलेरिया शरीर के विभिन्न अंगों में फैलकर उन्हें प्रभावित करने लगता है। इसमें कई अंग काम करना बंद कर देते हैं और इससे भी अधिक गंभीर लक्षण हो सकते हैं। इस मलेरिया के कुछ और लक्षण हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं (3) :
- सेरेब्रल या दिमागी मलेरिया – दौरे आना, कोमा व अन्य न्यूरोलॉजिकल असामान्यताएं
- गंभीर एनीमिया
- रक्त जमावट की प्रक्रिया में असामान्यताएं
- किडनी की समस्या
- श्वसन संबंधी समस्याएं
- निम्न रक्तचाप
ऐसी ही कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं। सीवियर मलेरिया के लिए तुरंत इलाज बहुत जरूरी है।
मलेरिया के कारण – Causes of Malaria in Hindi
मलेरिया के प्रकार जानने के बाद आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि मलेरिया के कारण क्या हैं। ज्यादातर लोग मलेरिया के कारण को सरल भाषा में यही कहते हैं कि मच्छरों के कारण मलेरिया होता है। मलेरिया प्रोटोजोआ परजीवी के कारण होता है, जिसे प्लास्मोडियम कहा जाता है। इस परजीवी की पांच प्रमुख प्रजातियां हैं, जो मनुष्यों को संक्रमित करती है। इन प्रजातियों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) – अफ्रीका में प्रमुख
प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) – एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों में प्रमुख
प्लास्मोडियम ओवले (Plasmodium ovale) – पश्चिम अफ्रीका और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख
प्लास्मोडियम मलेरिया (Plasmodium malariae) – दुनिया भर में प्रमुख
प्लास्मोडियम नॉलेसी (Plasmodium knowlesi) – दक्षिण पूर्व एशिया में प्रमुख (4)
आगे जानिए मलेरिया के लक्षण।
मलेरिया के लक्षण – Symptoms of Malaria in Hindi
यहां पर हम मलेरिया के सामान्य लक्षणों (सिम्पटम्स ऑफ मलेरिया) के बारे में बता रहे हैं। इनमें से कोई भी लक्षण नजर आने पर आप डॉक्टर से संपर्क करें।
- तेज सिरदर्द
- उल्टी या जी-मिचलाना
- तेज बुखार
- ठंड लगकर बुखार आना
- बुखार देर तक रहना
- बार-बार प्यास लगना
- हाथ-पैर में ऐंठन
- थकान या कमजोरी महसूस होना
- घबराहट या बेचैनी महसूस होना
- बहुत ज्यादा ठंड लगना
- खून की कमी
बेशक, मलेरिया का नाम लोगों में डर पैदा कर देता है, लेकिन निर्धारित दवाओं और घरेलू उपचार से इसका इलाज संभव है। इसलिए, आगे लेख में हम मलेरिया उपचार के बारे में बात करेंगे।
मलेरिया का घरेलू इलाज – Home Remedies for Malaria in Hindi
इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर वक्त रहते मलेरिया का इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। फिर भी मलेरिया का इलाज आसानी से संभव है। आजकल डॉक्टर भी मलेरिया रोग के लिए दवाई के साथ-साथ प्राकृतिक एवं घरेलू उपचार की सलाह देते हैं। यहां हम आपको मलेरिया से बचाव के लिए कुछ घरेलू उपचार बता रहे हैं।
1. अदरक
अदरक लगभग हर रसोई में पाया जाता है। वर्षों से खाने में स्वाद का तड़का लगाने वाला अदरक न सिर्फ खाने को जायकेदार बनाता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। अदरक का उपयोग आप मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से जल्द छुटकारा पाने के लिए भी कर सकते हैं। नीचे जानिये कैसे –
सामग्री :
- एक इंच अदरक का टुकड़ा
- एक या डेढ़ कप पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
- अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पानी में थोड़ी देर के लिए उबाल लें।
- फिर इसे छान लें और थोड़ा ठंडा कर पिएं।
- स्वाद के लिए आप इसमें शहद भी मिला सकते हैं।
कितनी बार सेवन करें?
आप हर रोज एक से दो कप इस मिश्रण का सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
अदरक में मौजूद घटक जैसे – जिन्जेरॉल (gingerol) में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसमें मौजूद ये गुण मलेरिया के दौरान होने वाले दर्द व मितली से राहत दिला सकते हैं। साथ ही पाचन शक्ति को भी बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, अदरक में एंटी-मलेरिया गुण भी होते हैं, जिस कारण मलेरिया से बचाव हो सकता है (5) (6) (7)।
2. तुलसी
भारत में सदियों से तुलसी का उपयोग न सिर्फ पूजा के लिए, बल्कि औषधि के रूप में भी किया जाता आ रहा है। चाहे सर्दी-जुकाम हो या किसी प्रकार का दर्द, इसके लिए तुलसी का काढ़ा, तुलसी की चाय व तुलसी के पत्ते हर तरह से फायदेमंद हैं। ठीक उसी तरह यह मलेरिया में भी कारगर साबित हो सकती है। नीचे जानिए मलेरिया में तुलसी के उपयोग की विधि।
सामग्री :
- 12 से 15 तुलसी के पत्ते
- आधा चम्मच काली मिर्च पाउडर
बनाने और सेवन करने की विधि :
- पत्तियों को कुचल लें और फिर इन्हें नीचोड़ कर रस निकाल लें।
- इस रस में काली मिर्च पाउडर डालकर अच्छी तरीके से मिलाएं।
कितनी बार सेवन करें?
इस रस को दिन में तीन बार पिएं, खासकर बीमारी के शुरुआती चरणों में।
कैसे फायदेमंद है?
तुलसी के पत्तों को विभिन्न रोगों के लिए हर्बल उपचार माना गया है और मलेरिया उनमें से एक है। इसमें एंटी-मलेरिया गुण होता है। संक्रमण के दौरान नियमित रूप से सेवन करने पर मतली, उल्टी, दस्त व बुखार जैसे लक्षणों से भी राहत मिलती है (8)।
3. पपीता का पत्ता
पपीता न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि इसके कई गुण भी हैं। यह पेट से लेकर त्वचा तक के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पत्ते भी लाभकारी होते हैं। डेंगू के वक्त पपीते के पत्ते के रस का सेवन करने के बारे में आपने सुना ही होगा, लेकिन ये मलेरिया में भी बहुत लाभकारी हैं।
सामग्री :
- चार से छह ताजे पपीते के पत्ते
- शहद (स्वादानुसार)
बनाने और सेवन करने की विधि :
- पपीते के पत्तों को अच्छी तरह से धो लें।
- धोने के बाद इनको छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
- फिर पत्तों का रस निकाल लें।
- रस निकालते वक्त आप गर्म पानी का उपयोग करें।
- उसके बाद आप इसमें स्वाद के लिए शहद मिला सकते हैं।
- फिर इसका सेवन करें।
- अगर आप एक बार में इसका सेवन नहीं कर सकते हैं, तो एक बोतल में इसे डालकर फ्रिज में रख लें।
- जब भी इसका उपयोग करें, उससे पहले बोतल को अच्छी तरह हिला लें।
- ध्यान रहे कि इसे ज्यादा दिनों के लिए फ्रिज में स्टोर न करें।
- कोशिश करें कि उतना ही बनाए, जितनी जरूरत हो।
कितनी बार सेवन करें?
आप दिनभर में एक से दो बार इस जूस का सेवन करें।
अगर आप जूस का सेवन नहीं करना चाहते, तो आप पपीते के पत्ते की चाय भी बना सकते हैं।
चाय के लिए –
सामग्री :
- लगभग चार से छह ताजा पपीते के पत्ते
- नींबू (आवश्यकतानुसार)
- शहद (स्वादानुसार)
बनाने और सेवन करने की विधि :
- इन पत्तों को अच्छी तरह से धोकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
- 15 से 20 मिनट के लिए पत्तियों को उबालें (आप इसमें नींबू के दो से तीन टुकड़े भी मिला सकते हैं) और छान लें।
- आप इसमें स्वादानुसार शहद भी मिला सकते हैं।
कितनी बार सेवन करें?
आप दिनभर में दो से तीन बार इसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
पपीता का पत्ता एंटी-मलेरिया की तरह काम करता है। पश्चिमी कैमरून में पपीते के पत्ते और लेमन ग्रास को मिलाकर एक मिश्रण तैयार किया जाता है, जिसे मरीजे को पीने के लिए दिया जाता था। हालांकि, इस पर अभी और शोधा होना बाकी है। इसके अलावा, पपीता का भी सेवन मलेरिया के दौरान लाभकारी हो सकता है, क्योंकि कई बार मलेरिया में खून की कमी हो जाती है और ऐसे में पपीते का सेवन फायदेमंद हो सकता है (9)।
4. मेथी
मेथी के सेवन से डायबिटीज से लेकर कई अन्य बीमारियों तक से राहत मिल सकती है। मलेरिया भी उन्ही में से एक है। नीचे जानिए मलेरिया में मेथी का सेवन कैसे करें –
सामग्री :
- थोड़ा मेथी दाना
- एक गिलास पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
- रातभर मेथी दानों को पानी में भिगोकर रखें।
- फिर सुबह खाली पेट इस पानी का सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें?
जब तक मलेरिया ठीक न हो जाए, इसका सेवन रोज करें।
कैसे फायदेमंद है?
बुखार के कारण मलेरिया के रोगी अक्सर कमजोरी महसूस करते हैं। इस कमजोरी से निपटने के लिए मेथी के दाने सबसे अच्छा प्राकृतिक उपचार हैं। ये आपकी इम्यून सिस्टम को बढ़ाते हैं और परजीवियों से लड़कर मलेरिया से जल्दी ठीक होने में मदद करते हैं। ये एंटी-प्लाज्मोडियल की तरह काम कर मलेरिया से राहत दिला सकते हैं। इसलिए, मलेरिया के मरीजों को मेथी खाने की सलाह भी दी जाती है (10) (11)।
5. दालचीनी
खाने का जायका बढ़ाना हो, तो दालचीनी अच्छा मसाला है। साथ ही यह मलेरिया में भी लाभकारी है।
सामग्री :
- एक चम्मच दालचीनी पाउडर
- एक चुटकी काली मिर्च पाउडर
- एक चम्मच शहद
- एक गिलास पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
- दालचीनी पाउडर और काली मिर्च पाउडर को कुछ मिनट के लिए पानी में उबालें।
- फिर पानी को छानकर उसमें शहद मिला लें।
कितनी बार सेवन करें?
आप इसका दिनभर में एक से दो बार सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
मलेरिया के लक्षणों के इलाज के लिए दालचीनी भी प्रभावी घरेलू उपचार है। दालचीनी में मौजूद सिनामाल्डिहाइड (cinnamaldehyde), प्रोसीएनिडिन्स (procyanidins) और कैटेकिन (catechins) में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। दालचीनी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) के लिए रूकावट का काम करता है। इसलिए, इसके सेवन से मलेरिया में राहत मिल सकती है (12) (13)।
6. सागर गोटा
सागर गोटा एक जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल भारत और अन्य देशों में उपचार के लिए किया जाता है। यह मलेरिया के उपचार में भी काफी फायदेमंद है।
सामग्री :
- तीन ग्राम सागर गोटा के बीज
- एक कप पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
- इन बीजों को बुखार होने की आशंका होने पर पानी के साथ लें और बुखार होने के एक घंटे बाद भी लें।
कितनी बार सेवन करें?
मलेरिया के कारण होने वाले बुखार से पहले और बाद में लें।
कैसे फायदेमंद है?
सागर गोटा पौधे के बीज मलेरिया के लिए प्रभावी उपाय माने गए हैं। यह एक दुर्लभ पौधा है। यह आपको हर्बल दुकानों में मिल जाएगा। इसमें मौजूद एंटी-मलेरिया और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण मलेरिया से जल्द राहत पाने में मदद मिल सकती है (14)।
7. चकोतरा
कई बार आपने बड़े नींबू देखे होंगे, जिन्हें चकोतरा या ग्रेपफ्रूट कहते हैं। संतरे और नींबू के प्रजाति का यह फल खट्टा होने के साथ-साथ इसमें हल्की मिठास भी होती है। वजन कम करना हो, थकान दूर करनी हो, पाचन बढ़ाना हो या अन्य कोई शारीरिक समस्या दूर करनी हो, यह लाभकारी हो सकता है। उसी तरह यह बुखार और मलेरिया पर भी असर कर सकता है।
सामग्री :
- एक चौथाई चकोतरा
- पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
- चकोतरे को उबाल लें।
- फिर इसे छानकर इसका सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें?
आप हर दिन इसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
अगर मलेरिया के दौरान इसका जूस लिया जाए, तो इससे मलेरिया की दवाई- अर्टेमेथर का प्रभाव बढ़ाने में मदद मिल सकती है (15)। हालांकि, इस पर अभी और अध्ययन की जरूरत है, लेकिन अगर आप विटामिन-सी युक्त किसी फल का सेवन करते हैं, तो उससे पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
8. सेब का सिरका
सेब तो फायदेमंद होते ही हैं, लेकिन सेब का सिरका भी लाभकारी होता है। कई घरों में खाना बनाने और अन्य कामों में सेब के सिरके को उपयोग किया जाता रहा है। एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। इसका उपयोग मलेरिया में भी किया जा सकता है, जिसके बारे में हम नीचे बता रहे हैं।
सामग्री :
- आधा कप सेब का सिरका
- दो से तीन गिलास पानी
- दो मुलायम कपड़े या तौलिये
बनाने और सेवन करने की विधि :
- सेब के सिरके को अच्छे से पानी में घोल लें।
- अब उसमें कपड़े के टुकड़े को भिगो दें।
- फिर इसे भीगे कपड़े को पैर के पीछे वाली मांसपेशियों पर रखें, जिसे काफ (calf muscle) कहते हैं।
कितनी बार प्रयोग करें?
मलेरिया के दौरान बुखार होने पर इससे सिकाई करें।
कैसे फायदेमंद है?
सेब के सिरके में एंटीबायोटिक होते हैं, जो कई बीमारियों से बचाव कर सकते हैं और मलेरिया में इसके प्रयोग से आराम मिल सकता है। एंटीबायोटिक और एंटी-मलेरिया दवाइयों से मलेरिया का प्रभाव काफी हद तक कम हो सकता है (16) (17)।
9. नींबू का रस
वजन घटाना हो, तो नींबू पानी का सेवन किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मलेरिया भगाना हो तो भी नींबू पानी का सेवन किया जा सकता है। मलेरिया में नींबू पानी बहुत ही असरदार काम करता है। मलेरिया में किस तरह नींबू पानी का सेवन करें, उसके बारे में हम नीचे बता रहे हैं –
सामग्री :
- एक नींबू
- एक गिलास गर्म पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
- एक गिलास गर्म पानी में नींबू का रस निचोड़कर उसका सेवन करें।
- ध्यान रहे पानी ज्यादा गर्म न हो, बल्कि गुनगुना हो।
कितनी बार सेवन करें?
आप बुखार के वक्त एक से दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
हर किसी को पता होगा कि नींबू पानी शरीर के विषैले पदार्थों को निकाल सकता है। ठीक उसी तरह अगर मलेरिया में दवाइयों के साथ नींबू का जूस लिया जाए, तो यह शरीर से मलेरिया के परजीवी को निकालने में ज्यादा तेजी से असर कर सकता है (18)। फिर भी इसे प्रयोग करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें।
10. फिटकिरी
कटने पर खून बंद करना हो या दांत दर्द ठीक करना हो फिटकिरी का इस्तेमाल कारगर साबित होता है। इसके अलावा, फिटकिरी का प्रयोग मलेरिया के दौरान भी कर सकते हैं, नीचे जानिए कैसे –
सामग्री :
- एक इंच फिटकिरी
- चीनी
बनाने और सेवन करने की विधि :
- पहले फिटकिरी को भूनकर पाउडर बना लें।
- अब इसको दो ग्राम चीनी के साथ मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें।
- बुखार आने की आशंका होने पर आधा चम्मच इस मिश्रण का सेवन करें।
- इसके अलावा, बुखार होने पर हर दो घंटे में आधा चम्मच लें (19)।
कितनी बार सेवन करें?
लक्षणों से तत्काल राहत के लिए मलेरिया के बुखार के पहले और बाद में इसका सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है?
फिटकरी में मॉस्किटो लार्विसाइडल (Mosquito larvicidal) क्षमता होती है, जो मलेरिया फैलाने वाले मच्छर एनोफीलज (Anopheles) को निशाना बनाकर मलेरिया से छुटकारा दिला सकते हैं (20)।
नोट: इसका सेवन और इसकी मात्रा के बारे में एक बार डॉक्टर से जरूर पूछ लें, क्योंकि हर किसी का शरीर और उनकी जरूरत अलग-अलग होती है। इसके अलावा, अगर आपको एलर्जी की परेशानी है, तो भी इसका सेवन विशेषज्ञ की राय के बाद ही करें।
11. ग्रीन टी
वजन घटाना हो या रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी हो, तो ग्रीन-टी ही काम आती है। इतना ही नहीं, मलेरिया का इलाज करना हो, तो भी यह असरदार साबित हो सकती है।
सामग्री :
- एक ग्रीन टी बैग
- एक इमली का छोटा टुकड़ा
- एक कप गर्म पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
- गर्म पानी में ग्रीन टी बैग और इमली को भिगोएं।
- अब टी बैग को निकालें और चाय को छानें।
- फिर इसका सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें?
हर रोज दो बार इस हर्बल चाय का सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है?
ग्रीन टी में मौजूद एंटी-मलेरिया गुण मलेरिया से राहत दिला सकता है (21)। इसके अलावा, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण इम्यून सिस्टम को स्वस्थ करता है और अन्य बीमारियों से भी बचाव कर सकता है (22)।
12. कलौंजी या काला जीरा
सरसों के तेल, खासकर के काले सरसों के बीज में एंटी-मलेरियल गतिविधि पाई गई है। इसे खाना पकाने के तेल के रूप में उपयोग करके या इसे एक स्मूदी में मिलाकर अपने दैनिक आहार में शामिल किया जा सकता है। इससे आपके शरीर को संक्रमण से बेहतर तरीके से लड़ने में मदद मिल सकती है। यह तेल आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित मलेरिया दवाओं के लिए एक अद्भुत सप्लीमेंट के रूप में कार्य कर सकता है। यह मलेरिया की दवाई जैसे – क्लोरोक्वीन के असर को बढ़ाने में मदद कर सकता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण मलेरिया के प्लाज्मोडियम संक्रमण से भी लड़ सकता है (23) (24)।
13. चिरायता
संभव है कि आप में से कुछ लोगों ने चिरायता का नाम सुना होगा। चिरायता एक प्रकार की जड़ी-बूटी है। सर्दी-खांसी हो, भूख बढ़ानी हो या अन्य कोई समस्या ठीक करनी हो, चिरायता बहुत फायदा करता है। स्वाद में भले ही यह कड़वा हो, लेकिन यह गुणों का खजाना है और मलेरिया में भी बहुत कारगर काम कर सकता है। नीचे हम चिरायता का काढ़ा बनाना बता रहे हैं।
सामग्री :
- 15 ग्राम चिरायता
- 250 मिलीलीटर पानी
- दो लौंग
- एक चम्मच दालचीनी पाउडर
बनाने और सेवन करने की विधि :
- चिरायता को लौंग और दालचीनी के पाउडर के साथ गर्म पानी में डालकर दो से तीन मिनट तक रहने दें।
- अब इसे छान लें और तीन चम्मच मिश्रण का सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें?
आप दिनभर में चार से छह बार इसका सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है?
चिरायता में मौजूद एंटी-मलेरिया गुण मलेरिया को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। कई वर्षों से इसे मलेरिया, एनीमिया, लिवर, बुखार और त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए औषधि के रूप में उपयोग किया जाता आ रहा है (25)।
14. नीम
आसानी से पाया जाने वाला नीम, भले ही बहुत सामान्य हो, लेकिन अगर बात करें इसके गुणों की, तो इसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती है। नीम को न सिर्फ औषधि की तरह, बल्कि खाने में भी उपयोग किया जाता है। कई लोग नीम को बैंगन के साथ फ्राई करके भी खाते हैं। मलेरिया जैसी बीमारी से भी राहत दिलाने में भी नीम मदद कर सकता है। नीचे जानिए मलेरिया के वक्त नीम का सेवन कैसे करें –
सामग्री :
- मुट्ठीभर नीम के पत्ते
- चार काली मिर्च
- पानी
बनाने और सेवन करने की विधि :
- नीम के पत्तों को काली मिर्च के साथ पीस लें।
- अब इस पाउडर को पानी में मिला लें।
- फिर इसे छानकर पिएं।
- इसके सेवन से मलेरिया के बुखार से राहत मिल सकती है।
कितनी बार सेवन करें?
आप इसका सेवन मलेरिया में बुखार होने पर कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
नीम के एंटी-मलेरियल और एंटी-प्लाज्मोडियल गुणों के कारण यह काफी हद तक मलेरिया में बुखार होने पर आराम दे सकता है (26) (27)। इसे लेने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें, क्योंकि यह आपकी दवाइयों पर भी निर्भर करता है कि आपको इसका सेवन करना चाहिए या नहीं।
15. हल्दी
हल्दी न सिर्फ खाने में रंग और स्वाद भरती है, बल्कि कई बीमारियों का रंग फीका भी कर देती है। भारतीय खाने में अहम भूमिका निभाने वाली हल्दी, वर्षों से औषधि की तरह काम कर हमें स्वस्थ्य भी रख रही है। जब इसमें इतने गुण हैं, तो मलेरिया कौन सी बड़ी चीज है। जानिए मलेरिया में हल्दी का उपयोग –
सामग्री :
- एक चम्मच हल्दी पाउडर
- एक गिलास गर्म दूध
बनाने और सेवन करने की विधि :
- दूध में हल्दी डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
- सोने से पहले इसका सेवन करें।
कितनी बार सेवन करें?
आप रोज रात को इसका सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है?
हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन मलेरिया के इलाज में उपयोगी हो सकता है। यह मलेरिया परीजीवी को कम या खत्म कर सकता है (28)। साथ ही हल्दी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल एजेंट है। यह प्लास्मोडियम संक्रमण के कारण पैदा होने वाले विषाक्त पदार्थों को शरीर से साफ कर सकता है और परजीवी को मारने में भी मदद कर सकता है। हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो मलेरिया के लक्षणों को कम कर सकते हैं, जैसे मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में दर्द आदि (29)।
नीचे जानिए मलेरिया के दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
मलेरिया में क्या खाना चाहिए – Foods to Eat for Malaria in Hindi
मलेरिया ट्रीटमेंट के दौरान सिर्फ घरेलू उपचारा ही नहीं, बल्कि खान-पान का ध्यान रखना भी जरूरी है। मलेरिया रोग में मरीज काफी कमजोर हो जाता है, इसी का ध्यान रखते हुए हम यहां बता रहे हैं कि मरीज को क्या खाना चाहिए :
- मलेरिया में ऐसा खाना खाएं, जो जल्दी पचे जैसे – खिचड़ी व दलिया आदि।
- खाने में गाजर, चुकंदर व पपीता आदि का सेवन करें।
- सादा खाना जैसे दाल-रोटी व हरी सब्जियों का सेवन करें।
- जो मांसाहारी हैं, वो अंडे का सेवन कर सकते हैं, लेकिन इस बारे में एक बार डॉक्टर से सलाह लें।
- प्रोटीन युक्त आहार लें, जैसे – मछली आदि।
- सूप, नारियल पानी व एलेक्ट्रोल पानी पिएं।
- विटामिन युक्त आहार का सेवन करें, लेकिन विटामिन-सी युक्त आहार के सेवन से पहले एक बार डॉक्टर से पूछ लें।
- सलाद का सेवन भी कर सकते हैं।
मलेरिया में क्या नहीं खाना चाहिए – Foods should avoid during Malaria in Hindi
मलेरिया रोग में क्या नहीं खाना चाहिए, यह जानना भी जरूरी है। नीचे जानिए मलेरिया ट्रीटमेंट के दौरान क्या न खाएं।
- तेल-मसाले या फैट वाले खाद्य पदार्थ न खाएं।
- बाहरी खाना न खाएं।
- मलेरिया में ठंडी चीज या तरल पदार्थ का सेवन न करें।
- ठंडी तासीर के फल या खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- चाय व कॉफी का सेवन न करें।
- ज्यादा भारी खाना जैसे – मीट व चिकन का सेवन न करें।
- सॉस और अचार का सेवन न करें।
- केक और पेस्ट्री का सेवन न करें।
नोट : इन सबके अलावा आप मलेरिया के दौरान खाने-पीने के बारे में अपने डॉक्टर से भी जरूर पूछ लें। डॉक्टर मरीज को डाइट चार्ट बनाकर दे सकते हैं, जो उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
मलेरिया से बचाव के बारे में जानना भी जरूरी है, ताकि इसे होने से रोका जा सके।
मलेरिया से बचाव – Prevention Tips for Malaria in Hindi
मलेरिया के लक्षण व उपचार तो आप जान ही गए हैं, लेकिन मलेरिया से बचाव के बारे में भी जानना जरूरी है। मलेरिया रोग न हो उसके लिए मलेरिया से बचाव के तरीके अगर आप पहले ही जान जाएंगे, तो यह आपके लिए अच्छा होगा। आप मलेरिया रोग के चपेट में आने से बच सकते हैं। नीचे जानिए कि मलेरिया से बचाव कैसे करें –
- कहीं भी अपने आसपास के वातावरण में पानी को ज्यादा दिनों तक स्टोर करके न रखें। कई बार गर्मियों में कूलर में कई-कई दिनों तक पानी को बदला नहीं जाता है। इसलिए, हर रोज कूलर का पानी बदलें और पानी को बदलना संभव नहीं है, तो कूलर में थोड़ा-सा मिट्टी का तेल डाल दें। साथ ही बाल्टी व अन्य बर्तनों में पानी अधिक दिन तक स्टोर करके न रखें। ज्यादा दिनों तक स्थिर पानी में ही एनोफिलीज यानी मलेरिया के मच्छर अंडे देते हैं।
- अपने आस-पास की जगह व घर में साफ-सफाई रखें और कीटाणुनाशक जैसे – फिनायल आदि से साफ करें।
- रात को सोते वक्त मच्छर मारने वाले कोइल को लगाकर सोएं। अगर आपको इन चीजों से एलर्जी है, तो मच्छरदानी लगाकर सोएं।
- बाहर जाने से पहले या किसी खुली जगह जैसे – पार्क या रोड पर जाने से पहले मच्छर भगाने वाले क्रीम को अपने व अपने बच्चों के शरीर पर लगा दें।
- कोशिश करें कि कपड़े ऐसे पहनें, जिससे हाथ व पैर पूरी तरह कवर हो जाएं।
- साफ पानी पिएं, खासकर तब जब आप बाहर कहीं यात्रा कर रहे हों।
मलेरिया के लक्षणों से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि मलेरिया बुखार के लक्षण जानकर सही मलेरिया ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। उम्मीद है कि घर में ही मलेरिया उपचार करने से जुड़ी सभी जानकारियां आपको मिल गई होंगी। आप चाहें तो मलेरिया का आयुर्वेदिक उपचार भी करा सकते हैं। इसके अलावा, अगर आपके पास भी मलेरिया के लक्षण व उपचार के बारे में कोई जानकारी है, तो उसे आप हमारे साथ शेयर कर सकते हैं। साथ ही अगर आपके मन में सिंप्टम्स ऑफ मलेरिया या मलेरिया रोग से जुड़ा कोई सवाल है, तो वो भी हमसे नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :
क्या मलेरिया एक वायरस है?
मलेरिया प्लास्मोडियम नामक परजीवी के कारण होने वाली बीमारी है। यह एक एकल-कोशिका यानि सिंगल सेल वाला जीव है, जो वायरस नहीं है।
मलेरिया से कौन से अंग प्रभावित होते हैं?
प्रारंभिक चरण में यह परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं को ही प्रभावित करता है, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, यह लिवर को भी प्रभावित करना शुरू कर देता है। गंभीर मामलों में यह मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है और मस्तिष्क संबंधी मलेरिया (cerebral malaria) का कारण बन सकता है।
मलेरिया के अंडों की अवधि क्या है?
यह मलेरिया पैदा करने वाले परजीवी के प्रकार पर निर्भर करती है।
पी फाल्सीपेरम के लिए- ऊष्मायन अवधि 9-14 दिन है।
पी ऑवले और पी विवैक्स के लिए – यह 12-18 दिन है।
पी मलेरी के लिए – यह 18-40 दिन है।(30)
मलेरिया मानव शरीर को कैसे प्रभावित करता है?
शुरू में परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में निष्क्रिय रहता है। फिर धीरे-धीरे लाल रक्त कोशिकाओं में बढ़ना शुरू कर देता है। हर 48-72 घंटों में कोशिकाएं फटती हैं और उसमें से और ज्यादा परजीवी निकलते हैं। यह वह समय है, जब किसी व्यक्ति को मलेरिया के लक्षण दिखने लगते हैं। इस स्थिति में मरीज को बुखार, ठंड लगना, मतली, उल्टी, सिरदर्द, थकान और आमतौर पर शरीर में दर्द का अनुभव होता है।
क्या मलेरिया गर्भवती महिलाओं में गर्भपात का कारण बन सकता है?
एक गर्भवती महिला में मलेरिया और इसके लक्षण अधिक स्पष्ट हो सकते हैं। प्रारंभिक अवस्था में गर्भपात बहुत कम होता है, लेकिन सही समय पर लक्षण न समझकर इसका सही इलाज न करने पर गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है।
क्या मलेरिया के कारण जोड़ों का दर्द हो सकता है?
हां, यह जोड़ों के दर्द का कारण बन सकता है।
क्या मलेरिया संक्रामक है?
मलेरिया व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलता है। अगर मलेरिया का मच्छर एक संक्रमित व्यक्ति को काटता है और वही मच्छर अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो संक्रामक व्यक्ति से परजीवी स्वस्थ व्यक्ति में आ सकता है और उसे भी मलेरिया हो सकता है।
मलेरिया से उबरने में कितना समय लगता है?
आमतौर पर मलेरिया से उबरने में लगभग दो सप्ताह लगते हैं।
मलेरिया से मृत्यु कितने समय में हो सकती है?
मलेरिया के कारण मृत्यु व्यक्तिपरक है। यह रोगी की वर्तमान स्थिति पर निर्भर करता है कि वह किस अवस्था में है। इसका कोई निश्चित वक्त नहीं है। हां, अगर मरीज का उपचार न किया जाए, तो मलेरिया एनीमिया, हाइपोग्लाइसीमिया और मस्तिष्क संबंधी मलेरिया का रूप ले सकता है। इस कारण मरीज कोमा में जा सकता है या उसकी मृत्यु हो सकती है।
क्या मलेरिया के लिए कोई वैक्सीन है ? अगर है, तो उसका असर कब तक के लिए रहता है?
मलेरिया के वैक्सीन पर अभी परीक्षण चल रहा है। इसलिए, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि यह किस अवधि के लिए प्रभावी होगी।
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