भगन्दर (फिस्टुला) के कारण, लक्षण और इलाज – Anal Fistula Causes, Symptoms and Treatment in Hindi

स्वास्थ्य पर अगर सही तरीके से ध्यान न दिया जाए तो शरीर कई तरह की गंभीर शारीरिक समस्याओं की चपेट में आ सकता है। इनमें एक नाम भगंदर का भी है, जिसे अंग्रेजी में ‘एनल फिस्टुला’ के नाम से जाना जाता है। हो सकता है कि यह नाम आपके लिए नया हो। इसलिए, स्टाइलक्रेज के इस लेख में भगंदर के बारे में जरूरी जानकारी दी गई है। यहां आप जान पाएंगे कि भगंदर क्या है और भगंदर के कारण क्या-क्या हो सकते हैं। साथ ही लेख में भगंदर के लक्षण और इसके इलाज से जुड़ी जानकारी भी साझा की गई है।

लेख में आगे बढ़ने से पहले आइए जान लेते हैं कि आखिर यह भगन्दर (फिस्टुला) क्या है ?

भगन्दर (फिस्टुला) क्या है – What is Fistula in Hindi

फिस्टुला शरीर में एक अप्राकृतिक और असामान्य जोड़ है, जो शरीर के दो अंगों को जोड़ देता है। फिस्टुला किसी चोट, सर्जरी, संक्रमण या इन्फ्लेमेशन की वजह से हो सकता है। यह समस्या शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है (1)। लेकिन हमारा यह लेख भगन्दर पर आधारित है। इसलिए, यहां हम भगन्दर से संबंधित ज्यादा से ज्यादा जानकारी देंगे। बता दें कि भगन्दर (फिस्टुला), मलनाली से मलद्वार की त्वचा तक पहुंचने वाला एक अप्राकृतिक ट्रैक या नली होती है। इस दौरान बहुत सी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिन्हें इसके लक्षणों और जटिलताओं के रूप में आगे लेख में बताया गया है (2)।

भगन्दर (फिस्टुला) क्या है जानने बाद आगे जानिए इसके प्रकार।

भगन्दर (फिस्टुला) के प्रकार – Types OF Fistula in Hindi

भगन्दर (फिस्टुला) की स्थिति के आधार पर इसे दो भागों में बांटा जा सकता है – (3)

  • सामान्य या जटिल
  • कम या ज्यादा

नोट : ऊपर बताए गए वर्ग भगन्दर (फिस्टुला) के होने के स्थान, भगन्दर की संख्या और इसकी गंभीरता के आधार पर बांटे गए हैं। इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

भगंदर के प्रकार जानने के बाद अब बारी आती है भगन्दर के कारण जानने की।

भगन्दर (फिस्टुला) के कारण – Causes of Fistula in Hindi

यह आमतौर पर चोट या संक्रमण के कारण हो सकता है (4)। इन सबके अलावा भी फिस्टुला के बहुत से कारण हो सकते हैं, जिन्हें नीचे बताया गया है –

  • कब्ज के कारण कोई चोट।
  • क्रोन रोग (Crohn’s disease – आंतों की सूजन)
  • गुदा में किसी प्रकार का संक्रमण
  • बड़ी आंत में फोड़ा या घाव के कारण

फिस्टुला के कारण के बाद अब बारी आती है फिस्टुला के लक्षण के बारे में जानने की।

भगन्दर (फिस्टुला) के लक्षण – Symptoms of Fistula in Hindi

अगर किसी व्यक्ति को भगन्दर है, तो इसके लक्षण कैसे पता करें ? इसलिए, पाठकों के जानकारी के लिए नीचे हम भगन्दर के लक्षण के बारे में बता रहे हैं (2) (4) (5)।

  • पहला संकेत गुदाद्वार में दर्द और उसके बाद सूजन या फोड़े का होना।
  • गुदे से मवाद या खून निकलना।
  • बैठने में परेशानी।
  • बुखार आना या ठंड लगना।
  • थकान महसूस होना।
  • गुदाद्वार के पास की त्वचा का लाल होना, सूजना या खुजली होना।

फिस्टुला के लक्षण जानने के बाद अब जानते हैं कि किन लोगों को ऐनल फिस्टुला का खतरा सबसे अधिक हो सकता है।

भगन्दर (फिस्टुला) के जोखिम कारक – Risk Factors of Fistula in Hindi

नीचे जानिए भगन्दर के जोखिम कारक (5) (6) (7)।

  • 40 साल से कम उम्र वालों को क्रोनिक एनल फिस्टुला का जोखिम हो सकता है।
  • मधुमेह के रोगियों में गैर मधुमेह रोगियों की तुलना में इसका जोखिम कम हो सकता है।
  • जिनको क्रोन रोग (Crohn’s Disease – आंत में सूजन से जुड़ी) हो।
  • मलत्याग के लिए देर तक बाथरूम में बैठना।
  • जिन्हें कोलाइटिस (Colitis – आंत में सूजन से संबंधित) हो।
  • ज्यादा मसालेदार खान से भी यह समस्या हो सकती है।
  • जिन्हें गंभीर दस्त की शिकायत हो।
  • जो लोग पेट के कैंसर के उपचार के लिए रेडिएशन थेरेपी ले रहे हो।

अगर सही वक्त पर भगन्दर का इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप भी ले सकता है। इसलिए, नीचे हम इससे संबंधित उपचार के बारे में जानकारी दे रहे हैं –

भगन्दर (फिस्टुला) का इलाज – Treatment of Fistula in Hindi

अगर फिस्टुला का पता शुरुआत में ही चल जाए तो हो सकता है कि डॉक्टर कुछ दवाइयों से उसे ठीक करने की कोशिश करें। लेकिन फिस्टुला अगर गंभीर है तो सर्जरी की जा सकती है। इसके बारे में हम नीचे जानकारी दे रहे हैं (5) –

फिस्टुलोटॉमी (Fistulotomy) – यह फिस्टुला को ठीक करने की एक सर्जिकल प्रक्रिया होती है। इसमें फिस्टुला को इस तरह से खोला जाता है, जिससे यह अंदर से बाहर की तरफ ठीक होता चला जाए। यह आमतौर पर एक आउट पेशेंट प्रक्रिया होती है। इसका मतलब है कि मरीज उसी दिन घर जा सकता है।

फिस्टुला को भरना – यह एक नया तरीका होता है। इसमें एक विशेष गोंद या प्लग (Plug) के जरिए फिस्टुला की इनर ओपनिंग (अंदर के खुले भाग) को भरा जाता है। इसके बाद डॉक्टर फिस्टुला नली को एक विशेष सामग्री से भर देता है, जिसे समय के साथ मरीज का शरीर अवशोषित कर लेता है।

रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी (Reconstructive surgery) – यह सर्जरी अलग-अलग चरणों में की जा सकती है। फिलहाल यह सर्जरी वैकल्पिक है और कुछ मामलों में की जा सकती है।
सेटन प्लेसमेंट (Seton Placement)- इस सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर फिस्टुला में सुचर (स्टीच) या रबर बैंड को लगा देते हैं, जिससे फिस्टुला को ठीक होने में मदद मिलती है।

नोट : इन मामलों में डॉक्टर सर्जरी के बाद कुछ विशेष निर्देश दे सकते हैं और खानपान के बारे में भी कुछ सुझाव दे सकते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर मरीज को कुछ दिन के अंतराल में घाव की जांच के लिए बुला सकते हैं।

आगे जानिए भगन्दर (फिस्टुला) में आहार से जुड़ी जानकारी।

भगन्दर (फिस्टुला) आहार – Fistula Diet in Hindi

ऐसे तो भगंदर (फिस्टुला) में आहार क्या-क्या लिया जाना चाहिए, इसके बारे में डॉक्टर मरीज की स्थिति के अनुसार सलाह दे सकते हैं। लेकिन, नीचे एहतियात के तौर पर हम कुछ आहार बता रहे हैं (5)।

  • ज्यादा से ज्यादा उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
  • ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।
  • ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करें।

भगंदर बहुत ही पीड़ादायक समस्या है, इसलिए बेहतर है कि खुद का ख्याल ज्यादा से ज्यादा रखा जाए ताकि भगन्दर से बचा जा सके। नीचे जानिए भगन्दर से बचने के उपाय।

भगन्दर (फिस्टुला) से बचने के उपाय – Prevention Tips for Fistula in Hindi

नीचे जानिए भगन्दर से बचने के उपाय। हालांकि, इनमें से कुछ सामान्य सुझाव हैं, जिनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है (4)।

  • आहार में ज्यादा से ज्यादा फाइबर युक्त भोजन को शामिल करें।
  • दिनभर में पानी की पर्याप्त मात्रा लें।
  • पेट संबंधित किसी भी समस्या पर वक्त रहते ध्यान दें।
  • साफ-सफाई का पूरा ध्यान दें।
  • मलत्याग के दौरान सावधानी बरतें और ज्यादा जोर न लगाए।

उम्मीद करते हैं कि इस लेख को पढ़ने के बाद आपको भगंदर के बारे में आवश्यक जानकारी मिल गई होगी। इस समस्या से बचने के लिए आप लेख में बताए गए भगन्दर के लक्षण पर ध्यान जरूर दें और साथ ही साथ भगन्दर से बचने के उपाय का भी पालन करें। अगर समय रहते इस समस्या को पहचान लिया जाए, तो भगन्दर का इलाज किया जा सकता है। इसके अलावा, लेख से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स की मदद ले सकते हैं।

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